Search for:
  • Home/
  • राजनीती/
  • लोकसभा में BSP का एक भी सांसद नहीं, सदन में अब ये चेहरा उठाएगा दलितों की आवाज

लोकसभा में BSP का एक भी सांसद नहीं, सदन में अब ये चेहरा उठाएगा दलितों की आवाज

लोकसभा चुनाव के नतीजे मायावती और बहुजन समाज पार्टी के लिए बेहद निराशाजनक रहे। BSP देशभर में लोकसभा की एक भी सीट नहीं जीत पाई। वहीं मायावती के लिए एक और खतरे की घंटी बज गई। दलित राजनीति में एक विकल्प भी इस चुनाव में सामने आ गया। पश्चिमी यूपी के नगीना सीट से 1 लाख 51 हजार से ज्यादा वोट से जीते युवा दलित नेता चंद्रशेखर आजाद रावण अब मायावती के विकल्प के रूप में देखे जा रहे हैं।

चंद्रशेखर आजाद ने बीजेपी के ओम कुमार को हराया

चन्द्रशेखर आजाद ने अपनी पार्टी आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के बैनर के नीचे चुनाव लड़ा था। उन्होंने 51.19 प्रतिशत वोट हासिल करके बीजेपी के ओम कुमार को हराया। नगीना सीट पर BSP के सुरेंद्र पाल सिंह को सिर्फ 1.33 प्रतिशत वोट मिले। 2019 में इसी सीट पर BSP के गिरीश चंद्र ने बीजेपी के यशवंत सिंह को 1.66 लाख वोट के अंतर से हराया था।

लोकसभा में दलितों की आवाज बनेंगे चंद्रशेखर

आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के एक नेता का कहना है कि लोकसभा में अब BSP का कोई सदस्य नहीं है। आजाद ही सदन में दलितों और मुसलमानों के मुद्दे उठाएंगे। इससे उन्हें दलितों के नेता के रूप में उभरने में मदद मिलेगी और निश्चित रूप से वे मायावती के विकल्प के रूप में उभरेंगे। इससे बसपा और कमजोर होगी।

424 में से एक भी प्रत्याशी नहीं जीता

मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने देशभर की 424 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन वो एक भी सीट नहीं जीत सके। इसमें उत्तर प्रदेश की 79 सीटें भी शामिल थीं। ये दूसरा मौका है जब BSP लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीती है। 2014 में भी BSP लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीती थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी ने 10 सीटें जीती थीं।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले झटका

लोकसभा चुनाव में बसपा की करारी हार मायावती के लिए बड़ा झटका है। उत्तर प्रदेश में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से मायावती के सामने अस्तित्व की चुनौती आ गई है। दलित राजनीति में चंद्रशेखर आजाद रावण के रूप में एक और विकल्प आ चुका है।

Leave A Comment

All fields marked with an asterisk (*) are required